सीएम पद के लिए केजरीवाल ही काट रहे पत्नी सुनीता का पत्ता! जानें क्या है वजह

नई दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा देने के लिए एलजी से समय मांगा है। वहीं, केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की पेशकश के बाद से अगले मुख्यमंत्री के नाम को लेकर अटकलों का बाजार गरम है। केजरीवाल के बाद संभावित मुख्यमं

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नई दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा देने के लिए एलजी से समय मांगा है। वहीं, केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की पेशकश के बाद से अगले मुख्यमंत्री के नाम को लेकर अटकलों का बाजार गरम है। केजरीवाल के बाद संभावित मुख्यमंत्री के रूप में केजरीवाल सरकार के मंत्रियों के साथ ही उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल का नाम भी चल रहा है। इसके पीछे केजरीवाल की अनुपस्थिति में लोकसभा चुनाव के दौरान सुनीता की में सक्रियता को लोग अभी भूले नहीं हैं। हालांकि, राजनीति के जानकारों का मानना है कि सीएम केजरीवाल कई प्रमुख कारणों से अपनी मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी पत्नी को आगे नहीं करना चाहेंगे। डालते हैं इन वजहों पर एक नजर

पार्टी को देना चाहेंगे संदेश

सुनीता केजरीवाल के सीएम बनने की स्थिति में उन्हें 6 महीने के भीतर किसी भी सदन का सदस्य होना जरूरी है। संविधान के अनुसार कोई भी बाहरी व्यक्ति सीएम या मंत्री बन सकता है, लेकिन उसे छह महीने के अंदर किसी ना किसी सदन की सदस्यता लेनी होगी। हालांकि, इसमें सुप्रीम कोर्ट ने इसमें एक शर्त रखी है। वह ये है कि जब कोई बाहरी व्यक्ति जिस वक्त पद ग्रहण करता है, उस वक्त किसी ना किसी सदन की सीट खाली होनी चाहिए। दिल्ली में द्विसदनीय व्यवस्था नहीं है। यहां सिर्फ विधानसभा है। मौजूदा समय में एक भी सीट खाली नहीं है। ऐसे में सुनीता केजरीवाल को सीएम बनाने के लिए सबसे पहले आप के किसी एक विधायक से सदस्यता से इस्तीफा दिलाना होगा। ऐसे में केजरीवाल इससे बचना चाहेंगे। इसके साथ ही वे पार्टी को संदेश भी देना चाहेंगे कि उनके लिए परिवार से बढ़कर पार्टी है।

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विरोधियों को नहीं देना चाहेंगे मौका

अरविंद केजरीवाल यदि अपनी पत्नी को सीएम बनाते हैं तो बीजेपी समेत अन्य विरोधी दल उनपर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगा सकते हैं। बीजेपी उन पर दिल्ली में बिहार वाला लालू मॉडल फॉलो करने का आरोप लगा सकती है। मौजूदा समय में केजरीवाल की पार्टी पर पकड़ बहुत मजबूत है। सिसोदिया को छोड़ कोई ऐसा नेता नहीं है जिसकी पार्टी के संगठन और सरकार में पकड़ हो। अरविंद केजरीवाल ने अपने साथ ही सिसोदिया के भी सरकार में पद ग्रहण करने को लेकर पहले ही स्थिति साफ कर दी है। केजरीवाल यदि जेल के भीतर से इस्तीफा देते तो संभव था कि सुनीता को मुख्यमंत्री बनाने पर विचार हो सकता था। चूंकि केजरीवाल जेल से बाहर हैं तो नए सीएम से उन्हें कोई खतरा नहीं होगा। ऐसे में केजरीवाल सुनीता पर दांव खेलने की जरूरत नहीं है।

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तो विधानसभा भंग कर सकते हैं केजरीवाल

राजनीतिक गलियारों में कुछ अटकलें ये भी हैं कि जब इस्तीफे की चर्चा मीडिया में फीकी पड़ने लगेगी तो विधानसभा भंग करने का ऐलान हो सकता है। इसके पीछे रणनीति होगी कि अगले कुछ और दिनों के लिए सुर्खियां केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के इर्दगिर्द ही रहें। ऐसे में कुछ सप्ताह के कार्यकाल के लिए सुनीता को आगे नहीं करना चाहेंगे केजरीवाल। राजनीति विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव में इतना कम समय बचा है कि जो भी सीएम बनेगा/बनेगी वो रबर स्टांप ही रहेगा क्योंकि केजरीवाल जेल से बाहर हैं तो सरकार पर नियंत्रण निश्चित रूप से अरविंद केजरीवाल का ही होगा।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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